बादलखोल अभ्यारण्य में मनाया गया वन्य प्राणी सप्ताह, वन अमला,शिक्षक,छात्र छात्राएं रैली निकाल कर किया जन जागरूकता लाने का प्रयास,कटाई पर अंकुश लगाने लिया गया निर्णय

बादलखोल अभ्यारण्य में मनाया गया वन्य प्राणी सप्ताह, वन अमला,शिक्षक,छात्र छात्राएं रैली निकाल कर किया जन जागरूकता लाने का प्रयास,कटाई पर अंकुश लगाने लिया गया निर्णय

नारायणपुर :- वन विभाग वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए प्रत्येक वर्ष 2 से 8 अक्टूबर के बीच वन्यजीव सप्ताह मनाता आ रहा है. बनी प्राणी सुरक्षा सप्ताह का मकसद भारत की वनस्पतियों और जीवों की सुरक्षा और संरक्षण करना मुख्य उद्देश्य होता है. 
      वन सुरक्षा सप्ताह के अंतर्गत आज  बादलखोल अभ्यारण्य नारायणपुर रेन्ज के द्वारा वन्यजीवों की सुरक्षा के लिए कई तरह के कार्यक्रम का आयोजन 2 अक्टूबर से कर रही है आज बादलखोल अभ्यारण्य के स्टाफ,शिक्षक, स्वामी आत्मानन्द हिंदी मीडियम ओर कन्या हाई स्कूल के छात्र छात्राओं के द्वारा  प्रभात फेरी निकाल कर जन जागरूकता लाने के लिए स्कूल प्रांगण से निकल कर रेन्ज कार्यालय,जयस्तम्ब चौक,अटल चौक सहित पूरे ग्राम में वन्य प्राणी सुरक्षा संबधित नारा लगाते हुए जन जागृति लाने का एक सुंदर प्रयास किया गया। 
 
बादलखोल अभ्यारण्य के द्वारा 03 अक्टूबर से 05 अक्टूबर तक स्कूली बच्चो से वनो एवं वन्यप्राणियों से संबंधित चित्रकला, निबंध, प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता आयोजित की गई।जिसमें दो स्कूलो में प्रश्न उत्तरी, निबंध, चित्रकला आदि परीक्षा का आयोजन किया गया , आज अभ्यारण्य के एस डी ओ बी बी केरकेट्टा सहित जनप्रतिनिधि और नागरिकों के द्वारा सप्ताह का समापन प्रतियोगिता में आये प्रथम, द्वितीय तृतीय प्रतियोगियों को पुरष्कृत  किया गया।
       इस वन सप्ताह कार्यक्रम में स्थानीय उप सरपंच संजय बंग ने कहा कि वनों की कटाई जानवरों को कई तरह से प्रभावित करती है। इससे जानवरो का  आवास नष्ट हो जाता है, शिकार का खतरा बढ़ जाता है,उनके लिए भोजन की उपलब्धता कम हो जाती है , दूसरे भोजन के स्रोत खो देते हैं - और अंत में, कई अपनी जान गंवा देते हैं। जंगली जानवरों का  उपयुक्त आवास जंगल ही एक मात्र है जिसका कटाई अनावश्यक हो रही है हमे सब मिलकर इसे रोकना है, विभाग के द्वारा गांव गांव में बैठक कर लोगो मे जागरूकता लाकर कटाई को कम किया जा सकता है,कर्मचारी भी समय देवें गांव में जाकर लोगों को जागरूक करें , छात्र छात्रों को कहा कि अपने परिवार में भी लोगों को जागरूक कर जंगल कटाई को होने वाले नुकसान के बारे में अवगत कराएं। जंगल के जानवर वन क्षेत्रो का उपयोग आराम करने, सोने, भोजन करने,  छिपने और शिकारियों से बचने के लिए करते हैं। लेकिन जब हम इन क्षेत्रों को बाधित करते हैं, तो जानवर महत्वपूर्ण संसाधनों तक पहुँच खो देते हैं और नए खतरों के संपर्क में आ जाते हैं।
  वन्ही राहुल बंग ने कहा कि पेड़ों की अंधाधुंध कटाई ने पर्यावरण को काफी नुकसान पहुंचाया है,ओर इसी तरह की कटाई जारी रही तो राजस्थान का रेगिस्तान बनने में देर नही लगेगी,  वर्षों से हो रही लगातार अवैध कटाई ने जहां मानवीय जीवन को प्रभावित किया है, वहीं असंतुलित मौसम चक्र को भी जन्म दिया है। पृथ्वी पर मानव जीवन लंबे समय तक तभी चल सकता है,जब हम वनों का संरक्षण करेंगे। अगर वनों की कटाई यूं ही होती रही, तो वह दिन दूर नहीं जब पृथ्वी पर मानव का जीवन दुश्वार हो जाएगा। उदाहरण देते हुए राजस्थान का रेगिस्तान जिक्र करते हुए कहा कि पेड़ नही होने के कारण वँहा वर्षा नही होती थी जिससे मानव चक्र खतरे में आ गया पानी की कमी को पूरा करने पाइप में माध्यम से पंजाब से राजस्थान लाना पड़ता रहा है,वँहा लोग पेड़ो की महत्ता को समझ पेड़ लगाना शुरू किया और संरक्षित किया आज राजस्थान में बारिश होने लगी। कहा कि पेड़ों की बेलगाम कटाई विभिन्न जानवरों व पक्षियों के अस्तित्व को संकट में डाल रही है। पर्यावरण संतुलन के लिए जरूरी हैं जंगल बचाना हम सब को बहुत जरूरी है,इस क्षेत्र में पेड़-पौधों का सबसे ज्यादा नुकसान कुछ वर्षों से लगातार हो रहा है। जंगलों के कारण ही बारिश होती है। लेकिन जंगलों का अंधाधुंध विनाश के चलते पर्यावरण का अस्तित्व खतरे में है। 

 अधीक्षक बादलखोल श्री केरकेट्टा  ने कहा है कि वन्यजीवों को बचाने के लिये लोगों के मन में वन्यजीवों के प्रति संवेदनशीलता और दया भावना का विकास आवश्यक है। कहा कि वन्यजीवों के संरक्षण में जनता की भागीदारी को भी यथोचित स्थान मिलना अति आवश्यक है।जन-जागरूकता का अभाव, वन्यजीवों के प्रति अज्ञानता एवं अंधविश्वास भी वन्यजीवों के संरक्षण में बाधक है अभ्यारण्य में सिर्फ वन्य जीवों का संरक्षण भर नहीं होता है बल्कि जैव विविधता का भी संवर्द्धन होता है। उन्होंने कहा कि वास्तव में अभ्यारण्य जैसे अनेक जंगल  देश के ऐसे संरक्षित वन हैं, जहां वनस्पति एवं वन्य जीव दोनों सुरक्षित है 
    इस कार्यक्रम में बी बी केरकेट्टा,महेन्द्र कुशवाहा,श्री प्रधान,कु स्वंत्रता बाई,शान्ति खलखो,सुदर्शन यादव,चिन्ह लाल मरकाम, समस्त नाकेदार सहित नागरिक मौजूद रहे।