बीते 7 दशकों से मूलभूत सुविधा सड़क से वंचित 3 पंचायत के ग्रामीण अपने आप को पाषाणकाल में जीवन यापन करना कर रहे महसूस : पक्का सड़क निर्माण ग्रामीणों के लिए एक बड़ा सपना,बादलखोल अभ्यारण्य की उदासीनता निरंतर है जारी

नारायणपुर : आजादी के 75 वर्ष बीत जाने के बावजूद आज भी जशपुर जिला में 3 पंचायत सड़क सुविधा से वंचित हैं वंचित,बादलखोल अभ्यारण्य क्षेत्र अंतर्गत बुटुंगा,कालिया व गायलूंगा के लोग 7 दशकों से आज भी पक्की सड़क की आस में हैं,ग्रामीणों के द्वारा सड़क की मांग को लेकर कई बार धरना प्रदर्शन और चक्का जाम तक किया गया है।लेकिन बादल खोल अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण यहां विभागीय उदासीनता से कलिया से साहीडाँड़, एवम गायलूंगा से बच्छरांव सड़क बन नही सका है।आलम आज यह है कि हल्की बारिश में भी यहां लोगों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।
ज्ञात हो कि बादलखोल अभ्यारण्य क्षेत्र अंतर्गत एक सड़क कलिया से साहीडाँड़ जबकि दूसरा सड़क गायलूंगा से बच्छरांव की ओर जाता है। यहां मुख्यमार्ग मिट्टीयुक्त कच्ची सड़क है जो हल्के बारिश में भी कीचड़ का रूप से लेती है,आम यह होता है कि यहां आवागमन प्रभावित होता है।ग्रामीणों की मानें तो कई बार बारिश और कीचड़ के कारण यहां तालाब सा स्थिति सड़क पर ही निर्मित हो जाता है।जिससे राहगीरों को आवागमन में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।बादलखोल अभ्यारण्य क्षेत्र होने के कारण यहां सड़कों का कार्य अभ्यारण्य अंतर्गत वन विभाग को कराना है लेकिन आंखों में पट्टी बांधे वन विभाग इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है,विभागीय उदासीनता के कारण ग्रामीण आज भी अपने आप को पाषाणकाल में जीवन यापन करना महसूस कर रहे हैं।ग्रामीणों के द्वारा कई बार विभाग को लिखित,मौखिक और प्रदर्शन कर सड़क बनाने का पुरजोर मांग किया गया है बावजूद आज तक वन विभाग के जिम्मेदार अधिकारी और कर्मचारी के कानों में जूं तक नहीं रेंगा है। बीते 7 दशकों से यहां सड़क का हाल बेहाल देख सिर्फ मिट्टी कार्य मात्र यहां कर लाखों का बंदरबाट करने में विभाग दिलचस्पी लेता है
*स्वास्थ सुविधा सहित शिक्षा के मंदिर जाने का एकमात्र मार्ग यही जर्जर कीचड़युक्त सड़क*
ग्रामीणों के अनुसार इन तीन पंचायत के लोगों के आवागमन हेतु मुख्य मार्ग यही सड़क है,आज इन 3 ग्राम के ग्रामीणों को किसी भी कार्य हेतु नारायणपुर, कुनकुरी,जशपुर,झारखंड,उड़ीसा,अथवा राजधानी रायपुर जाना हो है तो यही एक मात्र सड़क है,इतना ही नहीं किसी भी बिमारी के उपचार हेतु जिला अस्पताल जशपुर,सामुदायिक स्वास्थ केंद्र बगीचा या कुनकुरी अथवा बड़े व गंभीर बीमारी हेतु रायपुर,अंबिकापुर,रांची या उड़ीसा जाना हो तो भी इस मार्ग का ही उपयोग किया जाता है,लेकिन बारिश के दिनों में निर्मित स्थिति के कारण जन जोखिम में डाल यहां सफर तय किया जाता है,कीचड़ और बारिश के कारण हुवे गढ्ढों से कई बार वाहनों और आटो के पलटने की संभावना रहती है। बरसात के दिनों में यह सड़क पूरा कीचड़ से लबालब रहता है। वाहन चालक अपनी जान जोखिम में डाल कर सफर करने को विवश है। आलम यह है कि कीचड़ और गढ्ढे के कारण वाहन अक्सर जगह जगह फंस जाते है जिसे धक्का देकर लोग कीचड़ से निकल पाते है। वहीं शिक्षा के मंदिर जाने वाले छोटे छोटे बच्चों के आटो एवम बस के माध्यम से ग्रामीण स्कूल भेजते हैं,कीचड़युक्त सड़क और गढ्ढे में आटो के फंसने से बच्चों को भी भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है,जान जोखिम में डाल बच्चों को स्कूल भेज रहे परिजनों में हमेशा कोई दुर्घटना घटित ना हो इस बात का भय बने रहता है।
*इस कारण है ग्रामीणों में नाराजगी*
आजादी मिलने के 75 वर्ष पूरे हो चुके हैं, लेकिन गांव में रह रहे हजारों लोगों का जीवन आज भी वर्ष 1947 के ईद-गिर्द घूम रहा है। यहां के 3 से अधिक पंचायत सड़क सुविधा से नहीं जुड़ सके हैं। ग्रामीणों के द्वारा लगातार शासन प्रशासन सहित सरकार का ध्यान आकर्षण करने के बावजूद आज पर्यंत तक यहां सड़क नहीं बने से ग्रामीण अपने आप को छला हुआ महसूस कर रहे हैं।ग्रामीणों का कहना है कि यहां से रोजाना बादलखोल अभ्यारण्य सहित अन्य विभाग के कई बड़े अफसरों का आवागमन होता है,साथ ही जनप्रतिनिधि भी इसी मार्ग से आते जाते रहते हैं पर सड़कों की खराब स्थिति पर संज्ञान लेना वह अपना कर्तव्य नहीं समझ रहे जिससे उनके साथ सौतेला व्यवहार हो रहा है।ग्रामीणों का कहना है की बादलखोल अभ्यारण्य के निरकुंशता के कारण 3 पंचायत के हजारों ग्रामीण सड़क जैसी मूलभूत सुविधा नहीं मिल के कारण नरकीय जीवन जीने को मजबूर है।