उरांव जनजाति में अनादिकाल से मनाया जाने वाला प्रमुख त्योहार करमा पर्व जशपुर के तेतरटोली में स्थित सिन गई दई कैली दई हिन्दू उरांव भवन में हर्षोल्लास के साथ मनाया गया,रात भर करम राजा को गीत और नृत्यके साथ सेवा की गई

जशपुर /नारायणपुर :- जशपुर के ग्राम तेतर टोली में स्थित सिन गी दई कैली दई हिंदू उरांव भवन में करम पर्व हर्षौल्लास के साथ मनाया गया ।
उरांव जनजाति में करम पर्व एक महत्वपूर्ण त्यौहार के रूप में मनाया जाता हे इसके लिए समाज के लोगों को वर्ष भर इंतजार रहता है और इसकी तैयारी भी महीने भर से चलती है ,इस त्यौहार में शामिल होने के लिए समाज के लोग दूर दूर से आते हैं। करमा पूजा के लिए छोटी छोटी बहने अपने भाई के सुखी जीवन की कामना करते हुए निर्जला उपवास करती हैं।शाम को करम वृक्ष जिसे हल्दू भी कहा जाता है जिसकी अधिकता के कारण उत्तराखंड में एक शहर का नाम भी हल्द्वानी पड़ा है की डाल काटकर पूजा स्थल जिसे अखरा कहते हैं में लाया जाता है और बैगा के द्वारा अखरा में करम डाल गाड़ा जाता है और धूप धूवन जलाकर करम डाल का पूजन किया जाता हैं इस दौरान व्रती बांस की टोकरी में पूजन सामग्री और अपने घर पर दस दिन पहले उठाए गए ज्वारे को लेकर अखरा में आती हैं जहां पूजा पश्चात बैगा के द्वारा करम कथा सुनाई जाती है । करम कथा के बाद शुरू होता है करम राजा की पारंपरिक करम गीत और नृत्य के साथ रात भर सेवा की जाती है।
इस अवसर पर महिलाएं हांथ से हांथ जोड़कर गीत गाती और नृत्य करती हैं वहीं पुरुष वर्ग पारंपरिक मांदर, नगाड़ा बजाकर नृत्य करते हैं।यह नृत्य रात भर चलता है उसके पश्चात सुबह करम डाल को उखाड़ कर शुद्ध जल से स्नान कराकर पास के नदी तालाब में विधिवत विसर्जन किया जाता है ।इस अवसर पर अखिल भारतीय जनजाति सुरक्षा मंच के राष्ट्रीय संयोजक गणेश राम भगत सहित उरांव समाज सहित अन्य सैकडो लोग उपस्थित थे।