नारायणपुर सहित आस पास के गांव में धूमधाम से मनाया गया जितिया का त्योहार,संतान की लम्बी उम्र के लिए महिलाओं ने किया जितिया उपवास

नारायणपुर सहित आस पास के गांव में धूमधाम से मनाया गया जितिया का त्योहार,संतान की लम्बी उम्र के लिए महिलाओं ने किया जितिया उपवास

नारायणपुर :- जितिया पर्व का विशेष महत्व मातृत्त्व और पारिवारिक इकाई के प्रति समर्पण को दर्शाता है, जिसमें विशेष रूप से माताएँ अपनी संतान की सेहत और दीर्घ जीवन की कामना करती हैं।पुत्र के दीर्घायु व कल्याण की कामना को लेकर मनाया जाने वाला जितिया व्रत नारायणपुर समेत सभी ग्रामीण क्षेत्रों में बुधवार को विधि विधान के साथ संपन्न हुआ। व्रती माताओं ने निर्जला उपवास रखकर भगवान जीमूत वाहन जितिया डगाल को आंगन में स्तापित कर  विधिवत पूजा-अर्चना एवं जीवित पुत्रिका व्रत कथा कथावाचक के द्वारा नियमानुसार सुना गया। इसके लिए कई घरों के आंगन में तो कई जगहों पर सामूहिक पूजा का आयोजन किया गया। व्रती माताओं ने सोमवार को नहाय-खाय के साथ पूजा की विधि विधान प्रारंभ की थी। वहीं गुरुवार को निकटतम जलाशयों में कलश एवं जितिया डाली का विसर्जन के पश्चात ही महिलाएं व्रत तोड़कर अन्न, जल ग्रहण कर व्रत को पूर्ण किया । पुजा का दो दिन तिथि के कारण कई जगहों पर  मंगलवार को भी पुजा का आयोजन किया गया। 

ज्ञात हो कि इस क्षेत्र में जितिया पर्व कठोर नियम के साथ ही श्रद्धा और भक्ति के साथ मनाया जाता है। आश्विन कृष्ण पक्ष के अष्टमी तिथि को मनाए जाने वाले इस पर्व के बारे में कई तरह की कहानियां कही जाती है। कई जानकारों के अनुसार इसकी शुरुआत महाभारत काल से बताया जाता है।

इस पर्व की शुरुआत धार्मिक मान्यताओं के अनुसार माँ जितिया की पूजा से होती है, जो कि सुख-समृद्धि और संतान सुख प्रदान करने वाली मानी जाती हैं। मान्यता के अनुसार जितिया पर्व के दिन माताएँ उपवास रखकर अपने बच्चों की खुशहाली के लिए प्रार्थना करती हैं। इस दिन विशेष प्रकार के व्यंजनों का भी महत्व होता है, जैसे कि विशेष पकवान और मिठाइयाँ।

जितिया पर्व का सांस्कृतिक महत्व भी अत्यधिक है, क्योंकि यह पारिवारिक बंधनों को मजबूत करने का एक अवसर प्रदान करता है। माताएँ अपने बच्चों के साथ इस पर्व का आयोजन करती हैं, जिससे पारिवारिक एकता और समाज में आपसी मेलजोल को बढ़ावा मिलता है। अंततः जितिया पर्व केवल धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित नहीं है, बल्कि यह मातृभूमि के साथ प्रकृति का सम्मान और परिवार की सुरक्षा का प्रतीक भी है।
    

मुशलाधार बारिश भी नही रोक पाई महिलाओं को मांदर की ताप में झूमने से


   इस बार जितिया का पर्व में शाम से हो रही लगातार बारिश में भी महिलाएं डोल नगाड़ों मांदर की धुन में रात भर जितिया गीत गाकर झूमते रहे। महिलाओं को यूं ही शक्ति रूपेण नही कहा जाता है महिलाओं को मुशलाधार  बारिश भी झूमने से नही रोक सकी। पूजा के बाद नाच-गान का दौर शुरू हुआ जो देर रात तक चलता रहा। रात भर जितिया देवता के चारों ओर घूम-घूम कर  महिलाएं गोल घेरे में शृंखला बनाकर नृत्य करती रही और उनके बीच में पुरुष मांदर, डोल नगाड़ा बजाते रहे।