छठ पूजा : नारायणपुर में महापर्व छठ पूजा,कपरी नदी तट पर दिखा अद्भुत नजारा,गाजे बाजे और मंत्रोच्चार के साथ उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हुआ छठ महापर्व

छठ पूजा : नारायणपुर में महापर्व छठ पूजा,कपरी नदी तट पर दिखा अद्भुत नजारा,गाजे बाजे और मंत्रोच्चार के साथ उगते सूरज को अर्घ्य देने के साथ सम्पन्न हुआ छठ महापर्व

भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत में छठ महापर्व जो न केवल आस्था और भक्ति का प्रतीक है, बल्कि एकता और सामाजिक समरसता का भी अनोखा उदाहरण है। यह पर्व सूर्य देवता और छठी माता की आराधना के रूप में मनाया जाता है जो कार्तिक शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाने वाला एक प्रमुख हिंदू पर्व है,यह पूजा सूर्य देवता, प्रकृति, जल, वायु और उनकी बहन छठी माता को समर्पित है, जिन्हें देवी पार्वती के छठे रूप और भगवान सूर्य की बहन के रूप में पूजा जाता है

निरंजन मोहन्ती:नारायणपुर


नारायणपुर :- छठ पूजा की शुरुआत नहाय खाय की परंपरा से होती है. उसके बाद खरना, संध्या अर्घ्य और चौथे दिन उषा अर्घ्य देने के बाद ही छठ के पर्व का समापन होता है.
      देशभर में छठ के महापर्व का आज समापन हो गया. नारायणपुर में व्रतियों के तीन दिन के इस त्योहार के आखिरी दिन महिलाओं ने कपरी नदी के तट पर उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया,नारायणपुर में कपरी नदी में व्रतियों ने विधि विधान के साथ छठ पूजा किया. छठ पूजा का नजारा देखने और छठी मैया की पूजा में शामिल होने आसपास के गांवों से भी लोग पहुंचे,सूर्य को अर्घ्य देने के साथ ही इस महापर्व का समापन हो गया।

          छठ पूजा में सूर्य भगवान और माता छठी की पूजा की जाती है. भगवान सूर्य और छठी मैया को समर्पित छठ के पर्व का चौथा और आखिरी दिन ऊषा अर्घ्य के रूप में मनाया जाता है. छठ पूजा के चौथे दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है. छठ की शुरुआत नहाय-खाय से होती है. इसके बाद दूसरे दिन खरना होता है. तीसरा दिन संध्या अर्घ्य होता है और चौथे दिन को ऊषा अर्घ्य के नाम से जाना जाता है. कार्तिक माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि के दिन छठ पूजा की जाती है छठ पर्व में महिलाएं 36 घंटे का व्रत रखती हैं. 5 नवम्बर को नहाय खाय के साथ हुई थी. छठ का ये पर्व संतान की सुख समृद्धि, अच्छे सौभाग्य और सुखी जीवन के लिए रखा जाता है. साथ ही यह व्रत पति की लंबी उम्र की कामना के लिए भी रखा जाता है।

                   छठ का धार्मिक महत्व

ऐसी मान्यता है कि सूर्य देव की पूजा करने से तेज, आरोग्यता और आत्मविशवास की प्राप्ति होती है साथ ही छठी माता की अराधना से संतान और सुखी जीवन की प्राप्ति होती है. इस पर्व की सबसे बड़ी विशेषता है कि यह पर्व पवित्रता का प्रतीक है।